मुरैना की किशोरवय रेसलर शिवानी शर्मा युवा लड़कियों के लिए प्रेरणा पुंज हैं

 मुरैना की  किशोरवय रेसलर शिवानी शर्मा युवा लड़कियों के लिए प्रेरणा पुंज हैं

प्रदेश की राजधानी भोपाल में खेलो इंडिया में लहराएंगी ग्वालियर व चंबल अंचल का परचम

ग्वालियर/ मुरैना/ भोपाल/मुरैना की किशोरवय रेसलर शिवानी शर्मा ग्वालियर व चंबल क्षेत्र के निवासियों खासकर बालिकाओं के लिए प्रेरणा पुंज  बनी हैं। प्रदेश की राजधानी भोपाल में खेलो इंडिया यूथ गेम्स के दौरान मैट पर कदम रखते ही वे बेटियों की संख्या की लिहाज से कमतर चंबल व ग्वालियर क्षेत्र को संदेश देंगी कि बेटियां भी नाम रोशन कर सकने में सक्षम हैं।


मुरेना की सुयोग्य बेटी शिवानी शर्मा ने कहा, "जब खेलो इंडिया यूथ गेम्स को मेरे माता-पिता व क्षेत्रीय निवासी जब  टीवी पर लाइव देखेंगे, तो अपनी बेटियों को आउटडोर एक्टिविटीज़ के लिए भेजने की सोच में बदलाव आएगा।" "मुरैना में अधिकांश युवा लड़कियों को स्पोर्ट्स एक्टिविटीज़ या उच्च शिक्षा के लिए घर से बाहर जाने की अनुमति बड़ी मुश्किल से मिलती है।


भोपाल में मध्य प्रदेश की रेसलिंग एकेडमी की 17 वर्षीय नेशनल लेवल रेसलर समाज के उन पारंपरिक रीति-रिवाजों से बचकर बाहर आने के लिए खुद को खुशकिस्मत  मानती हैं, जिसमें महिलाओं के विपरीत पुरुषों को अधिक स्वतंत्रता मिलती है। 


मुरैना अपने ऊबड़-खाबड़ इलाकों , सरसों और गुड़ से बनी मिठाइयों के लिए जाना जाता है।


इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था सरसों, गेहूं और चना जैसे कृषि उत्पादों पर आधारित है। शिवानी शर्मा का मानना है कि बेहतर अर्थव्यवस्था के बावजूद, इस क्षेत्र के बहुत से लोग लोग अभी-भी  पुरानी परंपराओं में आस्था रखते हैं। नेशनल लेवल रेसलर ने कहा, "माता-पिता की तरफ से बालिकाओं को खेल या उच्च शिक्षा के लिए बाहर जाने की अनुमति लेने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है।"

शिवानी शर्मा के दिवंगत पिता रेसलर और मामा स्टेट लेवल रेसलर थे। शिवानी ने उन्हीं का अनुसरण किया।

शिवानी शर्मा ने कहा, "जब मेरी माँ को पता चला कि मैं करियर के रूप में कुश्ती जैसे कॉम्बैट स्पोर्ट के लिए भोपाल जा रही हूँ, तो उन्होंने बड़ी मान मनोब्बल के बाद जाने की अनुमति दी।  मेरे चाचा जी के समर्थन से मैं सभी रुकावटों को पार करते हुए आगे आने में कामयाब रही।"

चार वर्ष पहले, शिवानी शर्मा नियमित रूप से राज्य पुलिस विभाग में कार्यरत अपने पिता के साथ एक फिटनेस रूटीन का आनंद लेती थीं।लेकिन परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा, जब वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान उसके पिता का निधन हो गया। इस दौरान शिवानी ने घर की चार दीवारी की कैद से बाहर आने के बारे में सोचा।

भोपाल में कामकाज करने वाले उनके चाचा ने उन्हें राज्य में खेल गतिविधियों के केंद्र वाले शहर से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। शिवानी वर्ष 2022 जूनियर नेशनल लेवल पर 53 किग्रा में चौथे स्थान पर है। वे दो स्टेट मेडल्स भी जीत चुकी हैं।

शिवानी शर्मा युवा लड़कियों के लिए एक मसीहा बन चुकी हैं। उन्होंने कहा कि उनकी कुश्ती की उपलब्धियों को देखकर कई माता-पिता की मानसिकता में बदलाव आया है।

हाल ही में, जिला चयन ट्रायल्स के दौरान कई माता-पिता उनका मुकाबला देखने के लिए घर से बाहर आए। शिवानी ने कहा, "स्टेट कॉम्पिटिशन के लिए मुरैना के जिला चयन ट्रायल के दौरान कम से कम 500 लोग मेरा मैच देखने आए। कॉम्पिटिशन के बाद अपनी बालिकाओं के लिए कई माता-पिता ने मुझसे बात की और भोपाल में खेल सुविधाओं के बारे में जानकारी ली, क्योंकि अपनी बेटियों के लिए इस तरह की गतिविधियों के लिए उनकी रूचि में बढ़ोतरी हुई।"

शिवानी शर्मा ने कहा कि रूढ़िवादी माता-पिता को खेल का ग्लैमर दिखाने के लिए उन्हें खेलो इंडिया यूथ गेम्स में गोल्ड जीतने की सख्त जरूरत है। शिवानी शर्मा ने भोपाल में अपने शनिवार के ट्रेनिंग सेशन के बाद कहा, "मुझे उम्मीद है कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स के लाइव कवरेज का चंबल घाटी में समाज के पुरुष सदस्यों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।"

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